पिछले कुछ वर्षों में मानव आबादी के विकास और शहरीकरण में तेजी वृद्धि देखने को मिली है जो की मानव जीवन के लिए एक अच्छी बात है | परंतु जहाँ इससे एक तरफ लाभ देखने को मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ इसकी बहुत सी हानियां भी है |
शहरीकरण के दर में वृद्धि देखने को मिली है जिसके कारण दुनिया भर में सैकड़ों मिलियन एकड़ जंगल नष्ट हो गए हैं | जंगल जो की लाखो करोडो जानवरों का घर है जिनसे उनको खाना मिलता है जो कि उनके रहने के लिए एक सुसज्जित जगह है अब धीरे धीरे खत्म होने की कगार पर आ रहा है|
इसका नतीजा यह देखने को मिल रहा है कि जानवर अब शहरो के तरफ बढ़ रहे हैं | आए दिन ये खबर देखने को मिलती है किसी गांव में तेंदुआ पकड़ा गया तो किसी गांव में हाथी ने हमला किया | परंतु इसमें उन जानवरों की भी कोई गलती नहीं है यदि आप से आपका कोई घर छीन ले तो आप नए घर के लिए कहीं ना कहीं हाथ पांव तो मरेंगे ही यही चीज़ जानवरों पर भी लागू होती है |
2020 के एक रिपोर्ट के हिसाब से ये माना जा रहा है कि पृथ्वी पर वन्यजीवों का छठा सामूहिक विलुप्त, तेजी से बढ़ रहा हैै| जिसमें ये माना जा रहा है कि 500 से अधिक भूमि जानवरों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है जो कि संभवतः अगले दो दशकों में लुप्त भी हो जाएंगी |
1970 के बाद से वैश्विक वन्यजीव आबादी में औसतन 69% की गिरावट आई है | वर्तमान में (IUCN) (अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ) की मानें तो उनके हिसाब से 41,000 से भी अधिक प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है |
नीचे हमने दुनिया के 10 सबसे प्रसिद्ध लुप्त प्राय जंगली जानवरों को सूचीबद्ध किया है | इससे पहले हम एक छोटा सा विवरण देखते हैं उन जानवरों का जिनके बारे में आज हम पढ़ने जा रहे हैं | यह कुछ इस प्रकार है:
- सुमात्रा बाघ
- एशियाई शेर
- शेर-पूंछ वाला मैकाका
- हिम तेंदुआ
- नीली व्हेल
- सुमात्रा हाथी
- हॉक्सबिल कछुआ
- अमूर तेंदुआ
- जावन गैंडा
- सुमात्रा ओरंगुटान
1. सुमात्रा बाघ
हमें जैसा कि इसके नाम से ये पता चल रहा है कि, यह केवल इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर पाई जाती है | इंडोनेशिया का द्वीप दुनिया का छठा सबसे बड़ा द्वीप है | क्या आपको यह पता है कि सुमात्रा बाघ विश्व के सभी बाघों में सबसे छोटे और काले होते हैं | इनका वजन 140 किलोग्राम से लेकर 150 किलोग्राम (नर) और 110 किलोग्राम से लेकर 120 किलोग्राम (मादा) तक होता हैै |
सुमात्रा के यह बाघ बहुत ही खतरनाक शिकारी होते है | वे गैर टेंपिल , यहाँ तक कि हाथी जैसे बड़े जानवरों को मारने तक की क्षमता रखते हैं | परंतु इनके आहार का जो सबसे बड़ा हिस्सा माना जाता है जंगली सूअर और हिरणों तथा मछली बंदर और पक्षियों को भी |
इनके विलुप्त होने का बड़ा कारण इनके अवैध शिकार को माना जाता है | शिकारी इन बाघों का शिकार करके इनकी खाल, हड्डियों को विदेशों में निर्यात करते हैं जिनका चिकित्सा में उपयोग के लिए बहुत मांग है | इंडोनेशियाई सरकार की मानें तो उनके अनुमान से अब जंगल में 600 से ज्यादा सुमात्रा के बाघ नहीं बचे है |
2. एशियाई शेर
एशियाई शेर जिसे हम( फारसी शेर या भारतीय शेर ) के नाम से भी जानते हैं | इनका साम्राज्य एनिमेलिया है, ये पैन्थेरा लियो उप प्रजाति का सदस्य है | इनके गले और गालों के आसपास अ़याल बहुत कम होता है |
इन शेरों का वजन (नर) 170 से लेकर 190 किलोग्राम तथा (मादा) 120 से लेकर 130 किलोग्राम तक होता है | इनकी लंबाई लगभग तीन मीटर होती है |
आपको यह जानकर आश्चर्यता होगी कि एशियाई शेर अब भारत के गुजरात राज्य के गिरी राष्ट्रीय उद्यान तक ही सीमित रह गए हैं | इससे पहले इनका निवास दुनिया के अलग-अलग देशों में भी हुआ करता था जैसे जॉर्जिया, फिलिस्तीनी, अरब और ईरान जैसे देश इस सूची में शामिल हैं |
इनकी आबादी में गिरावट का मूल कारण ब्रिटिश और स्थानीय भारतीय शासकों द्वारा बड़े पैमाने पर इनका शिकार किया जाना था | लगभग सन् 1880 के दशक उत्तर भारत में इन शेरों की आबादी लिप्त होने की कगार पर आ गई थी | 2000 के बाद इनके आबादी में बड़ा उतार चढ़ाव देखा गया |
सन् 2010 के बाद इनकी आबादी में काफी वृद्धि हुई| रिपोर्ट्स की मानें तो 2015 में इनकी आबादी में वृद्धि हुई जो कि 523 से बढ़कर 650 से भी ज्यादा हो गई | गुजरात सरकार ने शेरों की आबादी को बचाए रखने और उसे बढ़ाने के लिए कई प्रकार के अभियान शुरू किए हैं | जैसे ,
- एशियाई शेरों की सुरक्षा के लिए ( एशियाई शेर संरक्षण परियोजना ) केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक सफलता भरा प्रयास उनके प्रति समर्पित किया गया |
- बिमारी से जुड़ी जोखिमों को भी सरकार द्वारा कम किया गया | ताकि जितना हो सके शेर बिमारी से कम से कम अपनी जान गंवाए |
- सन् 1910 के बाद जूनागढ़ के नवाबों द्वारा काफी सराहनीय कदम उठाया गया वहाँ के नवाबों ने अपने प्रांत के सीमाओं के भीतर शेरों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया |
3. शेर-पूंछ वाला मैकाका
शेर-पूंछ वाला मैकाका जिसे ( दाढ़ी वाला बंदर ) उपनाम भी दिया गया है | इसका वजन 2 से लेकर 10 किलोग्राम तक होता हैै | इनके जीवन जीने की अवधि लगभग 20 साल होती है | इनके शरीर की लंबाई 42-61 सेंटीमीटर होती है | इन बंदरों को भारत के कर्नाटक,केरल और तमिलनाडु के पश्चिमी घाटों पे पाया जा सकता है |
ये बंदर एक गंभीर रूप से लुप्तप्रायः प्रजाति है | इनके लुप्त होने का मुख्य कारण सड़क दुर्घटना, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन को माना जाता है |( IUCN ) द्वारा एक जांच में बताया गया कि दुनिया में लगभग 2400-2500 शेर पूंछ वाले मैकाका ही बचे हैं |
4. हिम तेंदुआ
हिम तेंदुआ जो कि मध्य और दक्षिण एशिया के 12 देशों में पाए जाते हैं जिसमें तिब्बत, चीन, अफगानिस्तान, भारत और नेपाल आदि देश शामिल हैं | ये तेंदुए मुख्य रूप से हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों में पाए जाते हैं जिसमें उत्तरी भारत के कुछ हिस्से हैं जैसे लद्दाख, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड |
ये ठंडे वातावरण के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित होते हैं | आपको बता दें की ये दहाड़ते नहीं है | इनके पंजे इनको बर्फ़ में चलने में सबसे ज्यादा मददगार होते हैं |
इस बिल्ली के लुप्त होने के पीछे मुख्य कारण अवैध शिकार, आवास का नुकसान, भरपूर खाने की उपलब्धि न हो पाना, वैश्विक तापमान में वृद्धि होने के कारण इनके जलवायु में बदलाव आना इसमें शामिल हैं |
इनके शरीर के अंगों तथा हड्डियों को चिकित्सा में भी इस्तेमाल किया जाता है | जिसके फलस्वरूप बाजार में इनकाअवैध व्यापार बढ़ता ही जा रहा है |
5. नीली व्हेल
नीली वेल इस ग्रह का अबतक का सबसे विशालकाय जानवर हैं | इसका वजन लगभग150 टन तक होता है और इसकी लंबाई 30 मीटर (98 फिट) से अधिक हो सकती है | नीली व्हेल एक मिलनसार प्रवृत्ति की जानवर होती है | परंतु हमें इसके साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह एक जंगली जानवर हैं और हमें इसके साथ एक सम्मान और सावधानी से व्यवहार करना चाहिए |
ये दुनिया के लगभग सभी महासागरों में पाए जाते हैं | परंतु 1970 के दौरान ब्लूवेल को लुप्तप्रायः प्रजाति संरक्षण अधिनियम के तहत लुप्त प्राय प्रजाति में सूचीबद्ध कर दिया गया था |
इनके लुप्त होने के पीछे मुख्य कारण पर्यावरण में एक बड़ा परिवर्तन और मानवीय गतिविधियाँ जैसे कि समुद्र में विषैले रसायन को डालना उनके द्वारा बनाए जहाजों से टकराना तथा सबसे बड़ा और मुख्य कारण मछली पकड़ने वाले जाल में उनका उलझकर मर जाना ये सब इनके लुप्त होने के पीछे के मुख्य कारण है |
वर्तमान समय में इनकी संख्या घटकर केवल 10,000 से 25,000 ही बची है इनको गहरे पानी में रहना ज्यादा पसंद है आप इनको समुद्र के किनारे कम ही पाएंगे |
6. सुमात्रा हाथी
सुमात्रा हाथी एशिया के तीन उपप्रजाति हाथी में से एक है | ये उन सभी हाथियों में सबसे छोटे होते हैं | ये प्रतिदिन लगभग 150 किलोग्राम भोजन ग्रहण करते हैं जिसमें हरी पत्तियाँ, घास-घूस फल,पेड़ के तने तथा इत्यादि वस्तुएं सम्मिलित रहती है | इनकी जीवन अवधि लगभग 60 साल तक रहती है |
ये सुमात्रा के रियाउ पश्चिमी सुमात्रा के निचले जंगलों में रहते हैं | आपको बता दें कि सुमात्रा वेस्टर्न इंडोनेशिया का एक आइलैंड है | ये दुनिया का छठा सबसे बड़ा आइलैंड है | इन हाथियों का वजन लगभग 2000 से 4000 किलोग्राम के बीच होता है | इनके विलुप्त होने के पीछे के मुख्य कारण,
- आवास की क्षति के कारण इन हाथियों के संख्या में भारी गिरावट को देखा गया है |
- इनके अवैध शिकार – जो कि इनके दांतो के लिए किया जाता है जिसकी कालाबाजारी व्यापक रूप से बाजारों में होती है |
- मानव जाति के विकास के लिए जंगलों को तेजी से काटा जा रहा है जिससे इन हाथियों ने अपना 70% निवास खो दिया |
7.हॉक्सबिल कछुआ
हॉक्सबिल कछुए मध्य अटलांटिक और इंडो पैसिफ़िक क्षेत्रों में पाए जाते हैं | ये अकेले घोंसला बनाते हैं | मादा कछुआ औसतन 150-160 अंडे उस घोंसलें में देती है | भारत में यह कछुए अंडमान और निकोबार द्वीप तथा लक्षद्वीप के कुछ समुद्री तटों पे पाए जाते हैं | एक वयस्क हॉक्सबिल कछुए की लंबाई औसतन 75-93 सेंटीमीटर होती है और इसका वजन लगभग 40 से 65 किलोग्राम के बीच होता है | ये ऐनिमोन, झींगा, स्पंज जैसी चीजें खाते हैं |
इन्हें 1970 में अमेरिकी लुप्तप्राय प्रजाति संरक्षण अधिनियम के तहत लुप्त प्रजाति में सूचीबद्ध कर दिया गया था | इन कछुओं के लिए सबसे बड़ा खतरा उनके खोल की कटाई से है | इनके सकूट के लिए इनको मारा जाता है | स्कूट एक कठोर प्लेटनुमा शल्क होते हैं जो कछुए के खोल को ढक कर रखते हैं |
इनके खोल को कुछ देशों में बाल के आभूषणों तथा गहने और अन्य सजावटी सामानों के लिए उपयोग में लाया जाता है |
8. अमूर तेंदुआ
अमूर तेंदुए एक काफी अच्छे तैराक होते हैं | ये लगभग 37 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं और लगभग 10 फ़ीट लम्बा छलांग लगा सकते हैं | अमूर तेंदुए रूस और चीन के पूर्वी भाग के जंगलों में ही पाए जाते हैं |
एक नर तेंदुए का वजन आमतौर पर 32-48 किलोग्राम होता है तथा एक मादा का वजन 25- 45 किलोग्राम होता है | अमूर तेंदुए मांसाहारी होते हैं और हिरण, सुअर तथा अन्य छोटे जीवों को मारकर खाते हैं |
ये तेंदुए दुनिया के सबसे संकटग्रस्त जानवरों में से एक है | वर्तमान समय में इनकी संख्या 100 से भी कम है | मानव के हस्तक्षेप के कारण अर्थात अपने विकास को लेकर मानव ने जंगलों की अंधाधुन कटाई की है | इस प्रक्रिया में तेंदुओं को अपने आवास का भारी नुकसान उठाना पड़ा है |
इस खतरे के अलावा, तेंदुओं का शिकार भी किया जाता है | इनके शिकार करने के पीछे मुख्य कारण इनके खाल और हड्डियों को माना जाता है | अगर ऐसा ही चलता रहा तो इन तेंदुओं का अस्तित्व पृथ्वी से मिट जायेगा |
9.जावन गैंडा
जावन गैंडे की सींग छोटी होने के कारण इन्हें छोटे सींग वाला गैंडा भी कहा जाता हैै | इनका वजन लगभग 1600-2200 किलोग्राम तक हो सकता है | पूर्व समय में ये एशिया के दक्षिण पूर्व क्षेत्र में भी पाए जाते थे | इसके साथ-साथ ये दुनिया के दूसरे कोनो में जैसे दक्षिण मलेशिया थाईलैंड के उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा बर्मा के ऊंचे उत्तरी हिस्सों में भी पाए जाते थे |
परन्तु वर्तमान समय में इनके रहने का एकमात्र क्षेत्र इंडोनेशिया के पश्चिमी जावा स्थित उजंग कुलोन राष्ट्रीय उद्यान ही रह गया है | से संभवतः 30 से 45 वर्ष तक जीवित रहते हैं | इनको एकांत में रहना काफी भाता है और ये कम ही दिखाई देते हैं |
जावन गैंडे कई कारणों से लुप्तप्राय प्रजाति में सूचीबद्ध हो गए हैं | शिकारियों द्वारा सींगों के लिए इनका अवैध शिकार किया जा रहा है | इनको आवास का नुकसान होना भी इनके लिए एक बहुत बड़ा खतरा बनता जा रहा है| इनकी आबादी भी बहुत कम है जिससे प्रजनन दर भी बहुत कम है जिस कारण इनकी संख्या में बढ़ाव कम देखा जा रहा | वर्तमान समय में केवल 72 जावन गैंडे ही उजंग कुलोन नेशनल पार्क में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं |
10. सुमात्रा ओरंगुटान
जैसा कि आप सभी को पता ही होगा की ओरंगुटान दुनिया के सबसे बुद्धिमान जानवरों में से एक है | सुमात्रा ओरंगुटान इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के उत्तरी भाग में पाए जाते हैं | इनका (नर/ मादा) वजन लगभग 35 से 55 किलोग्राम के बीच होता है और ये लगभग 50 से 55 साल की उम्र तक जीवित रह सकते हैं |
इनको फल खाना पसंद है इस तरह ये बीज फैलाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं | ये अपना जीवन पेड़ों पर ही बिताते हैं और कम ही नीचे आते हैं इसके विपरीत मादाएं कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखती है |
अंतर्राष्ट्रीय संघ ने ओरंगउटान को गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति में सूचीबद्ध किया है | मानव जीवन अपने विकास के लिए अर्थात खनन ,कृषि, सड़क निर्माण जैसे कार्यों के लिए जंगलों को तेजी से काट रहा है |
जिससे ओरंगुटान को निवास स्थान के नुकसान से जूझना पड़ रहा है | मनुष्य द्वारा अपने शौक पूरे करने के लिए इनके शिशुओं को इकट्ठा किया जाता है और उनके द्वारा इनको पाला जाता है |
जिस तरह हम इस धरती पर अपना जीवन व्यापन करते हैं क्या इन जानवरों को भी अपना जीवन जीने का हक नहीं है | एक बार उनकी जगह अपने आप को सोचकर देखिए कैसा लगता होगा उनको जब आप उनको एक पिजड़े में बंद कर अपना शौक पूरा करने के लिए उनको पालते हैं
| चलिए आज एक प्रण लेते हैं कि पेड़ो को कम से कम नुकसान पहुंचाएंगे , संरक्षण संगठनों का पूर्ण रूप से समर्थन करेंगे तथा पर्यावरण को बचाने के लिए जितना हो सके उतना अपना समर्पण देंगे |